304. जय जगत, जय जगत, जय जगत पुकारे जा
..जय जगत, जय जगत, जय जगत पुकारे जा
जय जगत, जय जगत, जय जगत पुकारे जा
जय जगत , पुकारे जा , सिर अमन पे बारेजा
...... जय जगत....
प्रेम की पुकार हो , सब का सबसे प्यार हो
जीत हो जहान की , क्यों किसी की हार हो
..... जय जगत....
न्याय का विधान हो, सबका हक समान हो
सबकी अपनी हो जमीं , सबका आसमान हो
.... जय जगत......
धर्मभेद छोड़ दो , जाति पाँति तोड़ दो
मानवों की आपसी, अखंड प्रीत जोड़ दो
.... जय जगत......
शांति की हवा चले , सब कहे बले बले
दिन उगे स्नेह का रात रंज की डाले
...... जय जगत.....
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